
भारत में नवरात्रि के पर्व को बहुत ही पवित्र माना गया है। आज यानी गुरुवार से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो गया है। 6 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या का दिन बीत जाने के बाद अश्विन माह की प्रतिपदा आरंभ हो गई है। इस प्रथम नवरात्रि के शुभ अवसर पर घट स्थापना की जाती है। लेकिन सभी के मन में यह भिडंवना बनी रही है कि कैसे करें घट स्थापना, क्या है घट स्थापना की विधि और घट स्थापना सामग्री में क्या-क्या आता है। तो आज हम आपसे यह जानकारी साझा करने वाले हैं, जिससे कि आप भी घट-स्थापना कर देवी के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकें।
घट स्थापना में आवश्यक सामग्री
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि शारदीय नवरात्रि माता दुर्गा को समर्पित होते हैं। इसलिए घट स्थापना की पूजा विधि में हल्दी, कुंकुम, धूपबत्ती, जनेऊ, निरांजन, सिंदूर, कपूर, आम के पत्ते, पुजा के पान, सिक्के, नारियल, पांच प्रकार के फल, हार-फूल, पंचामृत, गुड़ खोपरा, बादाम, सुपारी, चैकी पाट, कुश का आसन व नैवेद्य आदि। बता दें कि लघु पूजा विधि में इससे कम सामग्री के साथ भी पूजन किया जा सकता है।
यह है घट स्थापना की विधि
- नवरात्रि के पहले दिन ईशान कोण में शुभ मुहूर्त के समय घट की स्थापना को किया जाता है। पहले मिट्टी और जौ को घट स्थापना की जगह पर बिछाया जाता है। फिर उस पर दोबारा जौ डालकर मिट्टी को बिछाया जाता है। थोड़े समय बाद ही इस पर जल का छिड़काव किया जाता है।
- इस स्थापना स्थल पर पाट रखने के बाद लाल रंग का कपड़ा बिछाया जाता है, जिसके बाद ही घट को स्थापित किया जाता है। घट पर चंदन या रोली से स्वास्तिक बनाया जाता है। कंगन के तौर पर घट के गले में मौली को बांध दिया जाता है।
- इसके बाद तांबे कलश में जल भर कर उसके ऊपर आम के पत्तों को रखा जाता है। नारियल को लपेटने के लिए लाल रंग के कपड़े का ही प्रयोग किया जाता है। अब कलश की मंत्रों द्वारा पूजा की जाती है और फल, प्रसाद और मिठाई को जल से भरे घट के समीप रखा जाता है। गणेश पूजन के बाद देवी का आह्वान किया जाता है।
पूजा के पूर्ण हो जाने के बाद फल और मिठाई को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। सनातन धर्म में घट स्थापना का बहुत महत्व है। पूरे भारतवर्ष में इसे पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। Newsmintindia इस लेख में दी गई जानकारी की पुष्टि नहीं करता है, पूजा से पहले Newsmintindia आपको किसी विशेषज्ञ से जानकारी लेने की सलाह देता है।
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